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झारखंड में खनन पट्टे के नवीकरण प्रक्रिया पर भारत सरकार की कड़ी नज़र: कोयला और खान राज्यमंत्री सतीश चन्द्र दुबे

कोयला और खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे
कोयला और खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे

कोयला और खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे ने शनिवार को कहा कि भारत सरकार ने खनन पट्टे के नवीकरण में गहरी रूचि दिखाई है और इस प्रक्रिया पर कड़ी नज़र रखी है। मंत्रालय ने मंज़ूरी देने में तेज़ी लाने के लिए झारखंड राज्य सरकार के साथ-साथ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के साथ भी मामले पर बातचीत जारी रखी है। मंज़ूरी और अनुमोदन में तेज़ी लाने के लिए अंतर-मंत्रालयी बैठकें आयोजित की गई हैं।

उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य अकूत खनिज सम्पदा वाला राज्य है और केन्द्र सरकार इसके बहुमुखी विकास के लिए सदैव तत्पर है और रहेगी । अपने मंत्रालयों की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए मंत्रीजी ने बताया कि झारखंड में कोयला एवं खान मंत्रालय का समस्त तन्त्र राज्य के चहुंमुखी विकास में लगा हुआ है ।

केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री ने झारखंड में मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले समस्त संगठनों के कार्य निष्पादन पर प्रसन्नता और गर्व व्यक्त किया और झारखंड के विकास में इनके चहुंमुखी प्रयासों की सराहना की।

माननीय मंत्री ने कहा कि झारखंड तांबा, लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला, यूरेनियम, चूना पत्थर, मैंगनीज और सोना आदि के पर्याप्त भंडार वाला एक खनिज समृद्ध राज्य है। राज्य में खनिज गवेषण और खनन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, एनएमईटी ने खनिज गवेषण की 26 परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है। इनमें तांबा, सीसा, जस्ता, सोना और आधारधातु, बॉक्साइट, टाइटेनियम, दुर्लभ मृदा तत्व आदि जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की 11 परियोजनाएँ शामिल हैं। इन परियोजनाओं की स्वीकृत राशि 76.06 करोड़ रूपये है। अनुमानित 200 मीट्रिक टन कोयला भंडार वाली एनएमईटी द्वारा वित्त पोषित खनिज गवेषण परियोजना “साउथ ऑफ दामुदा” को खनन पट्टे के लिए नीलाम कर दिया गया है। उम्मीद है कि इस ब्लॉक में खनन गतिविधियों से राज्य में 21,911/- करोड़ रूपये का अनुमानित राजस्व जुड़ेगा। इसके अलावा, झारखंड के खान एवं भूविज्ञान विभाग की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए, एनएमईटी ने 6.08 करोड़ रूपये के अनुदान को मंजूरी दी है, जिसमें से 2.91 करोड़ रूपये डीएमजी, झारखंड को जारी किए गए हैं। इस निधि का उपयोग राज्य में खनिज गवेषण क्षेत्र को गति देने के लिए उच्च स्तरीय उपकरणों /मशीनरी, सॉफ्टवेयर आदि की खरीद के लिए किया जा सकता है।

हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (आईसीसी) के पास तीन प्रमुख खनन पट्टे नामत: सुरदा, राखा और केंदाडीह ब्लॉक हैं। अप्रैल, 2020 में पट्टा समाप्त होने तक खनन गतिविधि जारी रही। मेसर्स एचसीएल द्वारा तब से झारखंड राज्य सरकार के पास आवेदन दाखिल किए गए हैं। इसके अलावा, सुरदा कॉपर माइनिंग लीज ( 388.68 हेक्टेयर; 34 मिलियन टन भंडार) के निष्पादन को झारखंड सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा 29.08.2024 को मंजूरी दे दी गई है। आवश्यक अनुमोदन प्राप्त होने पर पट्टा निष्पादित किया जायेगा और सितंबर 2024 के दूसरे सप्ताह तक खनन गतिविधियाँ शुरू हो जाएँगी। राखा कॉपर माइनिंग लीज (785 हेक्टेयर, 47.19 मिलियन टन भंडार) 1971 से 2021 तक प्रचालनरत था। झारखंड सरकार ने 08.08.2024 को चरण-I वन मंजूरी के लिए प्रस्ताव पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेज दिया है। राखा खान में उत्पादन शुरू करने के लिए जल्द ही एक खान विकासक और प्रचालक (एमडीओ) की नियुक्ति होने की संभावना है। इसी प्रकार, केंदाडीह तांबा खनन पट्टा (1139 हेक्टेयर, 12.85 मिलियन टन भंडार) 1973 से 2023 तक प्रचालनरत था। पट्टे के नवीकरण के लिए आवेदन वर्ष 2022 में झारखंड राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया और जिसे अब जुलाई, 2024 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेज दिया गया है।

भविष्य में सुरदा, राखा और केंदाडीह कॉपर माइंस के शुरू होने से हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की क्षमता धीरे-धीरे 0.53 मिलियन टन से बढ़कर 4.30 मिलियन टन हो जाएगी। खनन गतिविधि से करों और रॉयल्टी में योगदान मिलेगा जो झारखंड सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। सुरदा कॉपर माइन में ही करीब 2000 नौकरियां सृजित होने की संभावना है। राखा और केंदाडीह कॉपर माइन के शुरू होने से इलाके में और अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ)/खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) द्वारा किए गए मूलभूत परिवर्तन का विवरण देते हुए माननीय मंत्री ने कहा कि आज हम भारत के खनन और खनिज क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं। सरकार के संरचनात्मक सुधारों से प्रेरित एक परिवर्तनकारी लहर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के प्रति हमारे दृष्टिकोण को नया आकार दे रही है। ये सुधार केवल उत्पादन बढ़ाने और सतत खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करने के बारे में नहीं हैं; वे एक स्वावलंबी भारत, एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के बारे में हैं, जिसकी कल्पना हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी ने की है।

वर्ष 2015 में प्रधान मंत्री जी द्वारा शुरू की गयी खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) के तहत हम खनन कार्यों से प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। झारखंड में 24 डीएमएफ में 13,339 करोड़ रुपये एकत्र किए गए हैं। 24 जिलों में से 19 जिले आकांक्षी जिले भी हैं। इसके अलावा, झारखंड राज्य में 10,086 करोड़ रुपये की कुल 26,482 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके माध्यम से, हम स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, अवसंरचना और पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय सुधार देख रहे हैं। ये पहल केवल सड़कें और स्कूल बनाने के बारे में नहीं हैं; वे जीवन को संवारने, हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने और एक ऐसे समाज को बढ़ावा देने के बारे में हैं जो हर सदस्य को महत्व देता है।

उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में जून 2024 तक कुल डीएमएफ संग्रह 13,339 करोड़ रुपये है और कुल आवंटित राशि 10,086 करोड़ रुपये है, जिसमें से 6,400 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। अब तक स्वीकृत कुल परियोजनाएं 26,482 हैं, जिनमें से 17,008 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
झारखंड का क्षेत्रवार परियोजना विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तहत स्वीकृत परियोजनाओं, जिनमें डीएमएफ द्वारा किए गए सामाजिक-विकासात्मक कार्य शामिल हैं, की कुल संख्या 20,258 है, जबकि स्वीकृत राशि 7,052 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं के लिए व्यय की गई राशि 4,911 करोड़ रुपये है।अन्य प्राथमिकता वाले कार्यों के अंतर्गत परियोजनाओं की संख्या 5,549 है, जबकि स्वीकृत राशि 2,744 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं पर व्यय की गई राशि 1299 करोड़ रुपये है।
अनुपालन के सम्बंध में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 15.01.2024 को संशोधित पीएमकेकेकेवाई दिशा-निर्देश जारी किए और राज्य सरकारों को इन्हें राज्य डीएमएफ नियमों में शामिल करने का निदेश दिया। इसके अलावा, खान मंत्रालय द्वारा 12 फरवरी 2024 को एक अ.शा.पत्र जारी किया गया जिसमें राज्यों को 31 मार्च 2024 तक संशोधित पीएमकेकेकेवाई दिशा-निर्देशों को शामिल करने का सुझाव दिया गया।

झारखंड राज्य सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 में डीएमएफ के तहत 10 आवासीय विद्यालयों को शामिल करने का सांकेतिक लक्ष्य दिया गया है, ताकि दूरदराज के क्षेत्रों में बच्चों को समावेशी और समान शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों में तेजी लाई जा सके और उन्हें संपूरित किया जा सके।

‘भारत की कोयला राजधानी’ के रूप में जाना जाने वाला धनबाद जो लंबे समय से सुरक्षित पेयजल की कमी की समस्या से जूझ रहा है, में पीएमकेकेकेवाई के अंतर्गत सब जन तक सुरक्षित पेयजल पहुंचाना सुनिश्चित करने हेतु डीएमएफ धनबाद के सफल योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए, डीएमएफ धनबाद ने 76,000 घरों तक पाइप से जल पहुंचाने के लिए 580 करोड़ रुपये का निवेश करते हुए एक बड़ी जलापूर्ति परियोजना शुरू की है। इस परियोजना में जल संकट को कम करने के लिए ओवरहेड जलाशय, जल उपचार संयंत्र, इनटेक कुंओं, गैंगवे और पंप हाउस का निर्माण शामिल है। इस पहल से महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ होंगे, जो क्षेत्र के शहरी निवासियों की समृद्धि और कल्याण में सुधार लाने के लिए डीएमएफ धनबाद की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई डीएमएफ, रामगढ़ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि डीएमएफ, रामगढ ने विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) की स्थापना की जिसका उद्देश्य जिले में शिशु मृत्यु दर को कम करना है। डीएमएफ द्वारा वित्त पोषित एसएनसीयू में आधुनिक चिकित्सा उपकरण और नवजात शिशुओं के लिए आईसीयू की सुविधा है।यह इकाई 29 दिन तक के शिशुओं की देखभाल करती है। मार्च 2022 से अब तक एसएनसीयू ने 1,182 शिशुओं की देखभाल की है।

भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने भी झारखंड के पलामू जिले के कुछ हिस्सों में फ्लोराइड जांच के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) और पेयजल और स्वच्छता विभाग, झारखंड (डीडब्ल्यूएसडी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

रांची में 5000 सीटों वाला राज्य पुस्तकालय 65.25 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा है, काम जोरों से चल रहा है, अगस्त 2025 तक इसका परिचालन शुरू हो जाएगा। यह एक भव्य संरचना है और यह शिक्षा की तरफ केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, इसके लिए सेंट्रल कोल् फ़ील्ड्स लिमिटेड बधाई के पात्र है।

झारखण्ड के पिपरवार में 20 मेगा वाट की सौर परियोजना का कार्य केंद्र सरकार का एक विशेष उपहार है, यह सराहनीय कार्य सेंट्रल कोल् फ़ील्ड्स लिमिटेड ने संपन्न किया है जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। यह परियोजना निश्चय ही राज्य के सम्पूर्ण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
माननीय मंत्रीजी ने यह उम्मीद और आशा व्यक्त की कि राज्य सरकार उपरोक्त समस्त लोक कल्याणकारी योजनाओं को अति शीघ्र कार्यान्वित करने में भारत सरकार का भरपूर सहयोग करेगी। उन्होंने बताया कि झारखण्ड राज्य सरकार उस ऊर्जा और जोश के साथ केंद्र की जनहित की योजनाओं को लागू नहीं करवा पा रही है जो उनसे अपेक्षित था, शायद इसका कारण यहां के राजनैतिक परिस्थियाँ अवश्य ही हैं। शीर्ष नेताओं पर मुकदमें चल रहे हैं, बार बार सत्ता परिवर्तन हो रहा है, सत्ताधारी दल और गठबंधन में दरार दिखती है, ऐसे में जनता का कल्याण प्राथमिकता में कहाँ रह जाता है!

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