प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।सम्मलेन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के रूप में देश को भारतीय न्याय विधान मिला है। इन क़ानूनों की भावना है- ‘Citizen First, Dignity First and Justice First’. हमारे criminal laws शासक और गुलाम वाली colonial सोच से आज़ाद हुए हैं। Sedition जैसे अँग्रेजी कानूनों को खत्म किया गया है। न्याय संहिता की सोच नागरिकों को सजा देगा, यहीं एकमात्र नहीं है। लेकिन नागरिकों को सुरक्षा देना भी है। इसीलिए, एक ओर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर सख्त कानून बने हैं….दूसरी ओर, पहली बार मामूली अपराधों में सजा के तौर पर कम्यूनिटी सर्विस का प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। मोदी ने कहा कि भारत के लोगों ने कभी सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट के ये 75 वर्ष, मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत के गौरव को और अधिक बढ़ाते हैं। ये हमारे उस सांस्कृतिक उद्घोष को बल देते हैं जो कहता है- सत्यमेव जयते, नानृतम्’।
न्याय की सुविधा के विस्तार के लिए पिछले 10 वर्षों में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने मिशन स्तर पर अदालतों के आधुनिकीकरण के लिए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया और सर्वोच्च न्यायालय और न्यायपालिका के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिला न्यायपालिका के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन इसका एक और उदाहरण है और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा ‘अखिल भारतीय जिला न्यायालय न्यायाधीश सम्मेलन’ के आयोजन का उल्लेख किया। सुगम न्याय प्रणाली के लिए ऐसे आयोजनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी दो दिनों में चर्चा किए जाने वाले विषयों पर प्रकाश डाला और लंबित मामलों के प्रबंधन, मानव संसाधन और कानूनी समुदाय में सुधार के उदाहरण दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने हर्ष जताया कि आगामी दो दिनों में न्यायिक व्यवस्था पर एक सत्र भी आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत स्वास्थ्य सामाजिक कल्याण की मूलभूत आवश्यकता है। इससे हमें अपनी कार्य संस्कृति में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने में सहायता मिलेगी।”
प्रधानमंत्री ने बलपूर्वक कहा, “विकसित भारत, नया भारत – आज की आजादी के अमृत काल में 140 करोड़ नागरिकों की इच्छा और सपना है।” उन्होंने कहा कि नए भारत का विचार चिंतन और दृढ़ संकल्प वाला आधुनिक भारत है। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि न्यायपालिका इस विजन का एक मजबूत स्तंभ है और विशेष रूप से जिला न्यायपालिका हमारी भारतीय न्यायिक प्रणाली का आधार है। उन्होंने कहा कि जिला न्यायपालिका देश के आम नागरिक के लिए न्याय का प्रथम संपर्क बिंदु है। इसलिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सर्वोच्च प्राथमिकता है कि न्याय के प्राथमिक केंद्र हर तरह से सक्षम और आधुनिक हों। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन और चर्चाएँ देश की अपेक्षाओं को पूरा करने में सहायक होंगी।