भूपेन्द्र सिंह: अगर आप अच्छे सर्वर/वेटर/टीम मेंबर बनना चाहते हैं तो कभी भी बीच में अपनी टेबल (जिस पर आप भोजन सर्व कर रहे हैं) को छोड़कर न जाएं. हममें से अधिकांश अच्छी सेवाओं के लिए टिप देना पसंद करते हैं. लेकिन कई बार जिसको टिप देना चाहते हैं वो गायब हो जाता है लास्ट टाइम पर. जैसे रामू ने हमें अच्छे से ग्रीट किया. बढ़िया सी टेबल पर ससम्मान बैठाया. ऑर्डर लिया. ऑर्डर सर्व भी कर दिया. लेकिन इसी बीच जब पेपर नैपकिन या कुछ और ऑर्डर की ज़रूरत पड़ी तो श्यामू ने आकर भरपाई की. रामू किचन में शेफ से गप्पें लड़ाने लगा या स्मोक ब्रेक पर भाग गया या कहीं और बिजी हो गया. तब ग्राहक बड़ी असमंजस में होता है कि सोचा था 100-200 रामू को देना था लेकिन टेबल क्लियर करने गोलू आता है और साथ में बिल का फोल्डर लाता है और बिलिंग करवाता है तो ऐसी स्थिति में ग्राहक गोलू को ही 50 रुपए पकड़ा कर निकल लेता है.
चूंकि जब मैं सीसीडी में 2010 में नौकरी करने आया तो सर्विस पूरी मैं करता और जैसे ही सारे बर्तन समेटकर बेसिन रखने जाता तब तक मेरी टिप वाला फोल्डर कोई और समेट लेता. तब कैश में ही ज़्यादा काम होता था. 59 रुपए की एक स्मॉल cappuccino आती थी तो अमूमन 41 रुपए दो की स्थिति में 82 रुपए, 32 रुपए या 50 रुपए मिलते ही मिलते थे. वैसे भी गुरुग्राम वाले गैलेरिया मॉल/शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में सब अमीर या मशहूर लोग ही आते थे. कई बार नए नए बंदे को टेबल टॉप के नीचे लगी च्यूइंगम निकालने में लगा रहना पड़ता था, क्योंकि कई ग्राहकों की आदत होती है कि अपनी च्यूइंगम टेबल के नीचे चिपकाने की. आज भी आप कई अच्छे रेस्टोरेंट या कैफे में जाएंगे तो देखेंगे कि नीचे चुइंगम चिपकी हुई है. यह लिखते समय में समंदर के किनारे एक कैफे में बैठा हुआ हूं और मैंने अपनी ही टेबल के नीचे देखा तो सच में एक चुइंगम लगी हुई है. पोस्ट लिखना रोककर मैंने इसका फोटो भी ले लिया है.
तो भावी सर्विस इंडस्ट्री में जाने वालों या अपना वेंचर शुरू करने जा रहे भाईयो/बहिनों अपनी टीम के सर्विस टीम को यह ज़रूर बताना कि टेबल बीच में छोड़कर न जाए और खाना परोसने समय उसको टेबल पर इतने प्रेम से रखे कि बिल्कुल आवाज़ न आए कर्कश वाली.
(लेखक भारत सरकार में राजभाषा अधिकारी है और समसामयिक विषयों पर लेखन में रूचि रखते हैं. )