पटना में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन और विश्वकर्मा पूजा को एक अद्वितीय ढंग से मनाया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर को भगवान विश्वकर्मा के रूप में प्रस्तुत किया और दूध से अभिषेक भी किया। इस आयोजन के दौरान उन्होंने पीएम मोदी को “आधुनिक भारत के विश्वकर्मा” के रूप में संबोधित किया, जो भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
बीजेपी कार्यकर्ताओं का मानना था कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को विश्व मंच पर स्थापित करने और देश के विकास में विशेष योगदान दिया है। इसी भावना के तहत, उन्होंने मोदी जी की तस्वीर को भगवान विश्वकर्मा के रूप में दर्शाते हुए उनका दूध अभिषेक किया।
हालांकि, इस प्रकार के आयोजन से यह सवाल उठता है कि किसी राजनीतिक नेता की तुलना एक धार्मिक देवता से करना सही है या नहीं। राजनीति और धर्म के मेल-जोल से उपजी ऐसी घटनाएं विचारणीय होती हैं। जहां एक ओर पीएम मोदी की प्रशंसा उनके समर्थकों द्वारा की जाती है, वहीं दूसरी ओर इसे अतिशयोक्ति के रूप में भी देखा जा सकता है।
ऐसे मामलों में यह जनता के विवेक पर निर्भर करता है कि वह इन घटनाओं को कैसे देखती है। पूजा, आराधना और किसी नेता को महान मानना एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण है, लेकिन धार्मिक संदर्भों का राजनीतिक चेहरों के साथ मेल करना हमेशा विवादास्पद हो सकता है।