हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ के घर जाकर गणेश पूजा में हिस्सा लिया, जिसके बाद यह मुलाकात विवाद का विषय बन गई है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और CJI चंद्रचूड़ को एक साथ पूजा करते देखा जा सकता है। इस घटना ने कई कानूनी विशेषज्ञों के बीच चिंता पैदा कर दी है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
Joined Ganesh Puja at the residence of CJI, Justice DY Chandrachud Ji.
May Bhagwan Shri Ganesh bless us all with happiness, prosperity and wonderful health. pic.twitter.com/dfWlR7elky
— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2024
प्रमुख अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने ट्विटर पर इस मुलाकात की आलोचना की और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल को टैग करते हुए लिखा, “CJI ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच की शक्ति विभाजन को कमजोर कर दिया है। CJI की स्वतंत्रता पर अब भरोसा नहीं रहा। SCBA को इस सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित समझौते की निंदा करनी चाहिए।”
Chief Justice of India has compromised the separation of powers between the Executive and Judiciary. Lost all confidence in the independence of the CJI . The SCBA must condemn this publicly displayed compromise of Independence of the CJI from the Executive @KapilSibal https://t.co/UXoIxVxaJt
— Indira Jaising (@IJaising) September 11, 2024
इंदिरा जयसिंह का यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के बीच ऐसी मुलाकातें न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करती हैं। कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति संतुलन भारत के संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे लेकर किसी भी प्रकार का समझौता लोकतंत्र पर गहरा असर डाल सकता है।
प्रसिद्ध वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “यह चौंकाने वाला है कि CJI चंद्रचूड़ ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने निवास पर निजी मुलाकात की अनुमति दी। इससे न्यायपालिका को एक गलत संदेश जाता है, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रखती है कि सरकार संविधान के दायरे में काम करे। कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक स्पष्ट दूरी होनी चाहिए।”
Code of Conduct for Judges:
“A Judge Should practice a degree of aloofness consistent with the dignity of his office.
There should be no act or omission by him which is unbecoming of the high office he occupies and the public esteem in which that office is held”
Violation of Code pic.twitter.com/kNjuMosbgZ— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 12, 2024
प्रशांत भूषण ने आगे जजों के लिए बनाए गए आचार संहिता का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है, “एक जज को अपने पद की गरिमा के अनुसार एक निश्चित दूरी बनाए रखनी चाहिए। उसे कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो उसके पद की प्रतिष्ठा के लिए अनुपयुक्त हो।” भूषण का मानना है कि यह मुलाकात जजों की आचार संहिता का उल्लंघन है।
My statement on the PM visiting the CJI for Ganesh puja at his residence pic.twitter.com/kcqCfNsfGz
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 12, 2024
इस घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने X (पहले ट्विटर) पर तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा, “संविधान के घर को आग लगी है, घर के चिराग से।” उन्होंने आरोप लगाया कि EVM को क्लीन चिट देने से लेकर महाराष्ट्र की असंवैधानिक सरकार पर सुनवाई में देरी तक, न्यायपालिका का रवैया पक्षपातपूर्ण नजर आता है। राउत ने कहा, “पश्चिम बंगाल के मामलों में न्यायालय ने तुरंत हस्तक्षेप किया, लेकिन महाराष्ट्र के गंभीर मामलों पर कोई चर्चा नहीं हुई। यह सब क्यों हो रहा है? इसकी क्रोनोलॉजी समझिए।”
संविधान के घर को आग लगी
घरके चिरागसे….
१) EVM को क्लीन चीट
२) महाराष्ट्र में चलरही संविधान विरोधी सरकार के सुनवाई पर ३ सालसे तारीख पे तारीख
३) प. बंगाल बलात्कर मामले मे suemoto हस्तक्षेप लेकीन
महाराष्ट्र रेप कांड का जिकर नहीं.
४) दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल के
bail पर तारीख पे… https://t.co/jzVpQqDQh3— Sanjay Raut (@rautsanjay61) September 11, 2024
प्रधानमंत्री मोदी और CJI चंद्रचूड़ की मुलाकात ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गहन सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर ऐसे समय में जब सर्वोच्च न्यायालय और भाजपा सरकार कई मुद्दों पर अलग-अलग राय रखते हैं। प्रधानमंत्री के प्रोटोकॉल को लेकर भी चर्चा हो रही है, क्योंकि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच इस प्रकार की नजदीकियां संवैधानिक मूल्यों पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।